10 मिनट गुरुदेव - माताजी के साथ
गुरुदेव का रात्रि 01:30 बजे उठकर,
नित्य-कर्म से निवृत होकर,
6-7 घंटे तक, गायत्री महामंत्र जप-ध्यान - 67 माला,
प्राप्त ऊर्जा से, फिर चार घंटे साहित्य लेखन
उपासना का यह क्रम एक-दो वर्ष नहीं,
बल्कि जीवन भर चला,
24 वर्ष तक, सिर्फ एक समय आहार,
वो भी जों की रोटी और छाछ,
तत्पश्चात गायत्री महाशक्ति पर
जीवन भर आध्यात्मिक प्रयोग करते रहें,
और प्रेरक साहित्य लेखन का क्रम तो
जीवन के अंतिम दिनों तक चलता रहा.
मेरी अंगुलियां लिखतें-लिखतें इस सर्दी में सिकुड़ रही है
और शायद आपकी पढ़ते-पढ़ते !
तो फिर, जरा कल्पना करो !
उस संकल्पशक्ति कि,
जिसने 50000+ पृष्ठों से अधिक लिखा.
वो भी नियमितरूप से,
चाहे वो कठोर साधना या हिमालय प्रवास के दिन हो,
या विश्वव्यापी यात्रा पर हो !!!
जीवन के हर एक पहलु पर,
उन्होंने अधिकारपूर्वक लिखा है,
जो कि सोचने के ढर्रे में
आमूलचुल परिवर्तन कर देना वाला क्रांतिकारी साहित्य है
आपने इसे पढ़ा ओर सुना,
तभी आप इस दैवीय मिशन का हिस्सा बने है.
क्या थे आप ? और आज क्या है आप ?
बस परिवर्तन की श्रृंखला कही, आप तक आकर ही न रुक जाए !
सतत चलती रहे !!!
गुरुदेव के इस पुरुषार्थ को
3200 क़िताबों मे भी नहीं बाँधा जा सकता है
संपूर्ण साहित्य एक महासागर है,
जिसमे कई हीरें-मोती छिपें है !
बस एक छोटा सा प्रयास है,
फर्स्ट ऑनलाइन केटलोग - पुस्तक सूचि पत्र
#1. जब कभी आपको किसी विषय पर प्रभावी स्पीच देनी हो.
#2. जब आप पॉवर पॉइंट प्रेसेंटेशन तैयार करना चाहतें हो.
#3. आप अपनी अभिरुचि/ आवश्यकता के अनुसार क़िताब चयन कर सकते हैं.
#4. रिसर्च करने वालो के लिए.
#5. किसी विषय विशेष पर क़िताब पूछने पर, आप ढेरों पुस्तकें बता सकतें हैं.
#6. उस व्यक्ति के लिए विशेष मददगार होगा जो आज ही गायत्री परिवार से जुड़ा है.
#7. नए परिजन हेतु, क्षेत्रीय कार्यक्रमों की साहित्य स्टाल पर, अत्यधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तके.
#8. जो परिवार से सक्रिय रूप जुड़े है, पर साहित्य के व्यापक रूप से नहीं जुड़ पाए हो.
#9. अपने मित्रों, सहकर्मियों, परिजनों एवं रिश्तेदारों को अभिरुचि अनुसार पुस्तक बता सकतें हैं.
#10. संपूर्ण साहित्य की एक झलक, ताकि दुनिया के लोगो का परिचय, गुरुदेव के वैचारिक स्वरुप से हो.
इस हेतु आज गुरुदेव की वही एकमात्र प्रार्थना दुहराता हूँ.
"मेरे विचार पढ़े-लिखे लोगों तक पंहुचा दो, बाकि काम वो ख़ुद कर लेंगे !"
क्यों कि आप जानते
और मानते है कि,
एक बार भी जिसने इस अमृत का पान किया है,
उसकी अनुभूति
जैसे एक साथ हजारों झरनों में स्नान जैसी होती है.
उसके घर-परिवार मे
स्वास्थ्य, सुख-शांति, संस्कार, सम्पन्नता निरंतर बढ़ती रही है.
क्या आप अपने संपर्क मे आये हुए परिवारों मे
यह सबकुछ नहीं चाहते है ?
तो देर किस बात कि है,
हम स्वयं पढ़े ओर सभी को प्रेरित करते रहें.
इस फर्स्ट ऑनलाइन केटलोग - पुस्तक सूचि पत्र को सभी तक
संकल्पपूर्वक पहुँचा दीजियें.
किताबों की एक झलक,
http://gayatri-pariwar-books.blogspot.in/
दुनिया के लोगो का परिचय, गुरुदेव के साहित्य स्वरुप से हो.
मेरी राय में,
यह एक श्रेष्ठ उपहार होगा,
आज, गुरुसत्ता के साथ-साथ,
आप से जुड़े हुए हर एक व्यक्ति के लिए.
ऋषियों के संकल्प में रोज़ाना लाखों लोग़ भागीदारी दे रहे है
कैसा संकल्प ? और कैसी पूर्णाहुति ?
वो संकल्प है,
"मनुष्य मे देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण"
इस हेतु उन्होंने जीवन भर मन, वचन ओर कर्म से
उपासना, साधना और आराधना की,
जिसे हम सब गायत्री परिवार के रूप में देख रहे हैं.
पूर्णाहूति अभी बाकि है, इसे आप स्वयं गुरुदेव से सुने
पूज्य गुरुदेव, आदरणीय लीलापत बाबूजी से
गायत्री तपोभूमि, मथुरा मे अक्सर कहा करते थे कि,
"मेरा लिखना 2 आने का,
तुम्हारा छापना 2 आने का,
बचा हुआ 12 आने का काम, मेरे बच्चे इसे घर-घर पहुंचा कर करेंगे !!!”
12 आने का काम मतलब
75% कार्य हमारें हिस्से में,
जन सामान्य में साहित्य पहुँचाने का काम हैं.
कही हम उनका विश्वास,
जाने-अनजाने में तोड़ तो नहीं रहे है?
अतः इस कार्य मे अब हमें संपूर्ण शक्ति के साथ,
आज ही लगना होगा, आज ही.
फिर देखिये, दैवीय कृपा, गायत्री मंत्र साधना कि फलश्रुति होकर रहेगी !!!
हम सबने, अपने निजी जीवन में
कई बार अनुभव किया है,
आगें भी करेंगे !
यही है ! यही है !! आराधना !!!
श्रेय, सम्मान और दैवीय सरंक्षण
इससे सस्ते मे न कही मिल रहा है, और न मिलेगा.
अगर आप गुरुसत्ता के बचे हुए 75% कार्य का हिस्सा बनना चाहते है,
तो संपूर्ण विश्व हमारा इंतज़ार कर रहा है.
बहुत देर हो चुकी है, अब और अधिक देर ना जाये.
आपके घर-परिवार मे स्वास्थ्य, सुख-शांति, संस्कार, सम्पन्नता निरंतर बढ़ती रहे,
इन्ही मंगल कामनाओं के साथ.
साथ ही, आपके प्रेंरणा भरे सुझाव पर ही,
यह कार्य संभव हो पायेगा.
नित्य-कर्म से निवृत होकर,
6-7 घंटे तक, गायत्री महामंत्र जप-ध्यान - 67 माला,
प्राप्त ऊर्जा से, फिर चार घंटे साहित्य लेखन
उपासना का यह क्रम एक-दो वर्ष नहीं,
बल्कि जीवन भर चला,
24 वर्ष तक, सिर्फ एक समय आहार,
वो भी जों की रोटी और छाछ,
तत्पश्चात गायत्री महाशक्ति पर
जीवन भर आध्यात्मिक प्रयोग करते रहें,
और प्रेरक साहित्य लेखन का क्रम तो
जीवन के अंतिम दिनों तक चलता रहा.
मेरी अंगुलियां लिखतें-लिखतें इस सर्दी में सिकुड़ रही है
और शायद आपकी पढ़ते-पढ़ते !
तो फिर, जरा कल्पना करो !
उस संकल्पशक्ति कि,
जिसने 50000+ पृष्ठों से अधिक लिखा.
वो भी नियमितरूप से,
चाहे वो कठोर साधना या हिमालय प्रवास के दिन हो,
या विश्वव्यापी यात्रा पर हो !!!
जीवन के हर एक पहलु पर,
उन्होंने अधिकारपूर्वक लिखा है,
जो कि सोचने के ढर्रे में
आमूलचुल परिवर्तन कर देना वाला क्रांतिकारी साहित्य है
आपने इसे पढ़ा ओर सुना,
तभी आप इस दैवीय मिशन का हिस्सा बने है.
क्या थे आप ? और आज क्या है आप ?
बस परिवर्तन की श्रृंखला कही, आप तक आकर ही न रुक जाए !
सतत चलती रहे !!!
गुरुदेव के इस पुरुषार्थ को
3200 क़िताबों मे भी नहीं बाँधा जा सकता है
संपूर्ण साहित्य एक महासागर है,
जिसमे कई हीरें-मोती छिपें है !
बस एक छोटा सा प्रयास है,
फर्स्ट ऑनलाइन केटलोग - पुस्तक सूचि पत्र
#1. जब कभी आपको किसी विषय पर प्रभावी स्पीच देनी हो.
#2. जब आप पॉवर पॉइंट प्रेसेंटेशन तैयार करना चाहतें हो.
#3. आप अपनी अभिरुचि/ आवश्यकता के अनुसार क़िताब चयन कर सकते हैं.
#4. रिसर्च करने वालो के लिए.
#5. किसी विषय विशेष पर क़िताब पूछने पर, आप ढेरों पुस्तकें बता सकतें हैं.
#6. उस व्यक्ति के लिए विशेष मददगार होगा जो आज ही गायत्री परिवार से जुड़ा है.
#7. नए परिजन हेतु, क्षेत्रीय कार्यक्रमों की साहित्य स्टाल पर, अत्यधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तके.
#8. जो परिवार से सक्रिय रूप जुड़े है, पर साहित्य के व्यापक रूप से नहीं जुड़ पाए हो.
#9. अपने मित्रों, सहकर्मियों, परिजनों एवं रिश्तेदारों को अभिरुचि अनुसार पुस्तक बता सकतें हैं.
#10. संपूर्ण साहित्य की एक झलक, ताकि दुनिया के लोगो का परिचय, गुरुदेव के वैचारिक स्वरुप से हो.
"मेरे विचार पढ़े-लिखे लोगों तक पंहुचा दो, बाकि काम वो ख़ुद कर लेंगे !"
क्यों कि आप जानते
और मानते है कि,
एक बार भी जिसने इस अमृत का पान किया है,
उसकी अनुभूति
जैसे एक साथ हजारों झरनों में स्नान जैसी होती है.
उसके घर-परिवार मे
स्वास्थ्य, सुख-शांति, संस्कार, सम्पन्नता निरंतर बढ़ती रही है.
क्या आप अपने संपर्क मे आये हुए परिवारों मे
यह सबकुछ नहीं चाहते है ?
तो देर किस बात कि है,
हम स्वयं पढ़े ओर सभी को प्रेरित करते रहें.
इस फर्स्ट ऑनलाइन केटलोग - पुस्तक सूचि पत्र को सभी तक
संकल्पपूर्वक पहुँचा दीजियें.
किताबों की एक झलक,
http://gayatri-pariwar-books.blogspot.in/
दुनिया के लोगो का परिचय, गुरुदेव के साहित्य स्वरुप से हो.
मेरी राय में,
यह एक श्रेष्ठ उपहार होगा,
आज, गुरुसत्ता के साथ-साथ,
आप से जुड़े हुए हर एक व्यक्ति के लिए.
ऋषियों के संकल्प में रोज़ाना लाखों लोग़ भागीदारी दे रहे है
कैसा संकल्प ? और कैसी पूर्णाहुति ?
वो संकल्प है,
"मनुष्य मे देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण"
इस हेतु उन्होंने जीवन भर मन, वचन ओर कर्म से
उपासना, साधना और आराधना की,
जिसे हम सब गायत्री परिवार के रूप में देख रहे हैं.
पूर्णाहूति अभी बाकि है, इसे आप स्वयं गुरुदेव से सुने
पूज्य गुरुदेव, आदरणीय लीलापत बाबूजी से
गायत्री तपोभूमि, मथुरा मे अक्सर कहा करते थे कि,
"मेरा लिखना 2 आने का,
तुम्हारा छापना 2 आने का,
बचा हुआ 12 आने का काम, मेरे बच्चे इसे घर-घर पहुंचा कर करेंगे !!!”
12 आने का काम मतलब
75% कार्य हमारें हिस्से में,
जन सामान्य में साहित्य पहुँचाने का काम हैं.
कही हम उनका विश्वास,
जाने-अनजाने में तोड़ तो नहीं रहे है?
अतः इस कार्य मे अब हमें संपूर्ण शक्ति के साथ,
आज ही लगना होगा, आज ही.
फिर देखिये, दैवीय कृपा, गायत्री मंत्र साधना कि फलश्रुति होकर रहेगी !!!
हम सबने, अपने निजी जीवन में
कई बार अनुभव किया है,
आगें भी करेंगे !
यही है ! यही है !! आराधना !!!
श्रेय, सम्मान और दैवीय सरंक्षण
इससे सस्ते मे न कही मिल रहा है, और न मिलेगा.
अगर आप गुरुसत्ता के बचे हुए 75% कार्य का हिस्सा बनना चाहते है,
तो संपूर्ण विश्व हमारा इंतज़ार कर रहा है.
बहुत देर हो चुकी है, अब और अधिक देर ना जाये.
आपके घर-परिवार मे स्वास्थ्य, सुख-शांति, संस्कार, सम्पन्नता निरंतर बढ़ती रहे,
इन्ही मंगल कामनाओं के साथ.
साथ ही, आपके प्रेंरणा भरे सुझाव पर ही,
यह कार्य संभव हो पायेगा.
"Thank u so much to address about GURUDEV"
ReplyDeleteVia e-mail
Jai Ganesh
Rubber Boy, DSVV
Excellent inspiration,excellent!!!!!!!!!
ReplyDeleteSadhana Pare
Bhaiya,
ReplyDelete.
Great message you have composed. It will work well.
.
Thanks,
Nitesh
Excellent. Message of Gurudev composoed which is full of inspirations.
ReplyDeletejay gurudev
ReplyDeletevisit my gujarati blogs
http://rushichintan.com/
ઋષિ ચિંતનના સાંનિધ્યમાં
Good message of gurudev .
ReplyDeleteGood message of gurudev .
ReplyDeleteI think that this is one of the best messege in the world given by gurudev.
ReplyDelete